Wednesday, March 23, 2011
Monday, March 21, 2011
Friday, March 11, 2011
aaj Dharmavir shri SAMBHAJI RAJE maharajji ki punyatithi unko koti koti pranam
आज धर्मवीर श्री संभाजी राजे की पुण्यतिथि किसको याद है !की संभाजी महाराज कोन थे, उनका कार्य क्या था,हम अपने इतिहास को उतना ही याद रखना चाहते है जितने की हमें जरुरत है !मित्रो संभाजी महाराज उनिके पुत्र है !जिनके नाम पे इस देश में राजनीती होती है !हा छत्रपति शिवाजी महाराज के पाहिले पुत्र है !और यही उनकी पहिचान नहीं है ! इनकी अपनी एक अलग पहेचन है ! हिन्दू धर्मं के लिए प्राणो की आहुति देनेवाले पहिले धर्मवीर राजा थे ! औरंगजेब ने उनको जब बंदी बनाया तब उनके सामने शर्थ राखी की यदि संभाजी मुस्लिम धर्मं स्वीकार करेंगे तो उनको छोड़ दिया जायेंगा और उनका राज भी वापस दिया जायेंगा फिरभी उन्होंने मरना पसंद किया पर धर्मं का त्याग नहीं किया,औरंगजेब ने यातना के साथ उनको मारा , ये इतिहास हमें शायद याद नहीं है, या हम रखना नहीं चाहते ! आज देश में सत्ताके लिए आपने धर्मं को त्यागने वाले ये सत्ता के दलाल इन्हे श्री शामभाजी राजे कैसे याद रहे सकते है ! मित्रो आज हम आपने हिन्दू होने पे गर्व महसुस कर सकते है, इसकी वजह ही संभाजी राजे है ! उनका ये बलिदान है की हमें ये आवसर मिला की हम धर्मं के साथ देश मे जी सकते है ! चलो आज धर्मंवीर श्री संभाजी राजेजी के चरणो मे आपने श्रद्धा सुमन अर्पण करे, और धर्मवीर संभाजीराजे को याद करे और आपने आप मे हिन्दू होने का गर्व करे येही उनको सच्ची श्रधांजलि होगी.
आखरी सांस तक वो न झुका ! '
कटा सर पर वो न रुका !
वो वीर शिवा का छावा था !
आपनी ताकद से करा पहचान!
धर्मं के लिए दिया बलिदान '
वो वीर शिवा का छावा था !
ताज छुटा तक्थ छुटा !
छुटा सारा संसार उसका !
फिर भी जिये शान से /मौत भी स्वीकारी शानसे !
वो वीर शिवा का छावा था !
धर्मंवीर संभाजी राजा हमारा था !
प्रसन्ना !!!!!!!!
Saturday, February 26, 2011
Krantisurya swatantra vir Sawarkar yana vinamra Aabhiwadan
आज क्रांति सूर्य स्वतंत्र वीर विनायक दामोदर सावरकर इनकी पुण्यतिथि चलो इस अवसर पर उन्हें विनम्र आभिवादन करे !आज देश की राष्ट्रवादी जनता श्री सावरकरजी को देश में हुवे अंग्रेजो के खिलाप शसस्त्र क्रांतिका जनक मानती है! श्री सावरकरजी समग्र राष्ट्रवाद को मानते थे आपने भारत देश में जातिवाद नष्ट हो और पूरा देश जाती विरहित सिर्फ हिन्दू धर्मं मानाने वाला एक राष्ट्र बने ये उनका सपना था! श्री सावरकरजी सोचते थे की देशा में प्रस्तापिथ ये जाती वेवस्था आपने हिन्दू धर्मं को खंडित कर रही है !और हिन्दू जबतक बलशाली नहीं बनेंगे तब तक हमारा देश बलशाली नहीं बनसकता इस लिए आज़ादी के बाद सावरकरजी ने आनेको आन्दोलन किये जो जाती प्रथा के विरोध में थे!श्री सावरकरजी को धर्म के आधार पे देश का विभाजन मान्य नही था! उनकी सोच में ये भारत भूमि पुण्य भूमि है और इसे धर्मं के आधार पे बाटा नहीं जा सकता इसी कारण उन्होंने विभाजन का पुरजोर विरोध किया!मगर उस वक्त के नेतोने उन्हें धार्मिक ता बताकर सत्ता के लालच में खंडित भारतभूमि को देश करके स्वीकार किया! इस का परिणाम हम आज तक ६० साल से भुगत रहे है !श्री सावरकरजी का वाक्तिमत्व ये बहु आयामी था वो एक क्रांतिकरी थे, एक कवी, लेखक और समाज चल रही कुप्रथा का विरोध करने वाले एक समाज सुधारक थे!वो बहु आयामी वक्तित्व के एक युगपुरुष थे!हिन्दू धर्मं में श्रधा रखने वाले अखंड भारत के उपासक थे!उनके सम्पूर्ण जीवन कल में जीतनी यातना उन्होंने भोगी है उतनी इस देश के सम कालीन नेतोने नहीं भोगी होगी !
मित्रो उस समय शीर्ष नेतृत्व उनकी बात मांजता तो आज इस भारत देश का चित्र कुछ और होता! आज उनके पुण्य तिथि पे हमें यह मोका मिला है की हम श्री स्वतंत्र वीर विनायक दामोदर सावरकर जी को याद करे उनके चरणोंमे आपने श्रधा सुमन आर्पण करे और इस भारत देश में प्रखर राष्ट्रवाद का निर्माण करे और अखंड भारत देश का पुनह सपना साकार करने का प्रयास करे.
जय हिंद
Thursday, February 17, 2011
Samrudha Bharat Desh ka Lachar pradhanmantri Dr.Manmohansing
कल हमारे प्रधानमंत्री श्री मनमोहनसिंगजी ने पत्रकार परिषद् ली इस परिषद् में उन्होंने देश में घटित अनेक घटना जैसे भ्रष्टाचार,आतंकवाद,नक्षलवाद,पे अपना पक्ष रखने का प्रयास किया!यंहा समजनेवाली बात ये है की माननीय प्रधानमंत्रीजी ने सरकारका नहीं अपना याने मनमोहनसिंग का पक्ष रखा,क्या कहा !
१]मै ये नहीं कहेता की मैंने कोही गलती नहीं की,पर जितना मेरे बारे में प्रचार किया जरह है!मै उतना भी दोषी नहीं हु.
२]आघाडी की सारकार चलने के लिए भोतसी बातो पे कोम्प्रोमैज करना पड़ता है!मै मजबूर हूँ !
३]२जि स्पेक्ट्रम में घटा हुवा है ऐसा कहा जाता है वो डायरेक्ट घटा नहीं है!डायरेक्ट घटा तो वो है जो हम विविध प्रकार की सब्सिडी देते है उससे सरकारका पैसा कम होता है!
ये कुछ प्रमुख बाते है जो माननीय प्रधानमंत्रीजी ने कल कही है !सवाल ये है की क्या प्रधानमंत्री स्वयं को निर्दोष बताना चाहते है!प्रधानमंत्रीजी ऐसी क्या मज़बूरी है की इतने मजबूर होने के बावजूद आप पद पे बने रहेना चाहते है अगर आप अपने सहियोगी मंत्री योंके भ्रष्टाचार को सारकार चलने की मज़बूरी बताके छुपाना चाहते हो!अगर आप ने ऐसा कोही काम नहीं किया तो आप सब विषयोंको लोगो के सामने आने दो जिस पे भी आरोप लगरहे है वो जवाब देंगा आप आपने मज़बूरी का दुनिया के सामने क्यूँ प्रदर्शन कर रहे हो!आप २ जी, की तुलना देशमे बटने वाली सब्सिडी से करते हो सर आप भारत देश के एक मने हुंवे आर्थशास्त्री हो आप ये आछे तरह समजते हो की सब्सिडी ये एक वेवस्था है जो तय की जा सकती है वो समय के हसबसे कम जादा किजा सकती है!और आपने दोनों बातो में तुलना करके देशकी जनता को गुमराह करने की कोशिश की है!मोहदय, आप अपने आप को मासूम [इनोसंट ]बताकर बच सकते है मगर आपके नेतृत्व में चल रही UPA में शामिल भ्रष्ट मंत्रियों को कैसे बचओंगे!कल पुरे देश को पता चला की आप एक मजबूर प्रधानमंत्री हो आज तक लोग बोल रहे थे आपने आपकी प्रेस से साबित कर दिया की मजबूर ही नहीं लाचार भी हो!मोहदय आप अगर आछे हो तो आपको कुछ निर्णय लेना होगा और साबित करना होगा आप एक निर्णय लेने वाले इन्सान हो जो देश के सामने सब छोड़ सकता है!नहीं तो देश की जनता आपको भी भ्रष्टाचारी ही कहेगी करण आप सब कुछ जानकर अंजान बनरहे हो!
"आभी भी संभल जाओ देश की जनता सोई है वो जाग गई तो संभाल मुश्किल होगा"
Wednesday, February 2, 2011
Mahila aur Balvikas Mantralay [Bhart sarkar]ka khulasa.
आज महिला और बालविकास मंत्रालय ने खुलासा किया है की आपने मर्जीसे शाररिक सम्बन्ध[या सम्तिसे ]रखने की उम्र १६ साल करनेकी सिफारश बचोंकी लैंगिक अत्याचार प्रतिबंधक कानून में की गयी है और इसी कानुनमे १२ साल तक के लड़के तथा लडकियोंको "समागमना शिवाय"शाररिक निकटता रखने का कोही भी प्रस्ताव नियोजित कानून में नहीं है ऐसा केन्द्रीय महिला बालविकास मंत्री माननीय कृष्णा तीरथ इनोने बताया.इसका मतलब इसके बाद १६ वर्ष से कम उम्र के लड़के लड़कियों के शाररिक संबंधो को गुन्हा मन जायेगा,या विधेयक आनेवाले आर्थ संकल्पीय आधिवेशन में लाया जायेगा. उपरोक्त बातमी आज सभी वर्तमान पत्रों में छापी है सवाल ये है की आज देश में ऐसी कोणती परिस्तिती निर्माण हो गई की महिला बालविकास आत्याचार कानून में शंसोधन करके लड़के लडकियों की उम्र १८से घटाकर १६ वर्ष करनी पड़ रही है ? आज भी आपने देश कोहिभी लड़का या लड़की को बलिक समजने की उम्र २१और १८ है और इसी उम्र वाले लड़के लड़की योंको बलिक समजा जा सकता है और शादी कारने का आधिकार इसी उम्र में मिलता है फिर इस कानून में बदलाव कर के उम्र कम कारने की जरुरत काया है ? सरकार में बैठे लोग और कानून बनाने वाले सभी कानून के जानकर इस विषय में क्या सोचते है मालूम नहीं पर मेरेको ऐसा लगता है की इस तिरिकेसे बदलाव करना ठीक नहीं कारण इस का जो दुष परिणाम होगा वो सबसे जादा लडकियोंको होगा जोभी लैंगिक हत्याचार होते है उसमे ९५% महिला होती है और उम्र की सीमा घटने से उनमे बढोतरी आएँगी कारण एक उम्र का डर ख़तम हो जायेगा इस से महिला योंको देहव्यापार के तरफ घसीट ने की संख्या में भी इजाफा होगा,इस कानुनमे बदलाव का नुकसान देश की लड़कियों को ही होगा,सरकार कानून में बदलाव कर कोनसा उदेष सफल करना चाहती है! क्या सरकार इस विषय में दबाव में है, कोही N G O इस कानून में बदलाव करवाना चाहता है,क्या सरकार इस कानुनमे बदलाव करके लैंगिक वभिचार को निमंत्रण तो नहीं दे रही है ? सरकार के इस कदम का कोई भी विरोध कर नहीं रहा आज देश में कितने संगठन है जो इन विषयो में बारबार बवाल मचाते है मगर आज कोई भी विरोध करते हुवे नहीं दिखरहा? मेरे को ऐसा लगता है सरकार के इस कदम से कानून का जो डर है वो ख़तम होजायेगा शायद ये कानून बनजयेगा तो हम देश के लड़के लड़की योंको कानूनन बड़ा तो बनादेंगे मगर उनका स्वाभाविक बचपना उनसे छीन लेंगे.
अनुरोध ये है आप इस विषय में सोचे क्या सरकार का ये उचित कदम है कानून में बदलाव करना !
अनुरोध ये है आप इस विषय में सोचे क्या सरकार का ये उचित कदम है कानून में बदलाव करना !
Sunday, January 30, 2011
janral
क्या फरक पड़ता है, किसीके जानेसे या आनेसे!
क्या फरक पड़ता है, किसीके हसनेसे या रोनेसे !
क्या फरक पड़ता है ,किसीके घुस्सा करनेसे या प्यार जतानेसे!
क्या फरक पड़ता है ,किसीके बतानेसे या छुपानेसे!
क्या फरक पड़ता है ,कोही साथ रहेनेसे या नाराहेनेसे!
क्या फरक पड़ता है, ऊपर आकाश में उड़नेसे या फिर निचे रस्तेपर पैदल चलनेसे!
सोचो फरक पड़ता है !
फरक पड़ता है,जब आकेलेमे कोही साथ आजाये!
फरक पड़ता है,जब आपको कोही खूब हसाए!
फरक पड़ता है,जब आपसे कोही खूब प्यार करे!
फरक पड़ता है,जब आपने मन की बात किसीको बताई जाये!
फरक पड़ता है,जब आप संकट में हो और आपके साथ कोही आजाये!
फरक पड़ता है!जित की उड़ान लेनेमे!
इसलिए आपनेआप को लोगो के सुख दुःख में शामिल करो,
तभी लोग आपने सुख दुःख में शामिल होंगे.
जीवन एक आनंद मई यात्रा है,इसे सब समाज के साथ मिलकर ही पूरा किया जाना है!
क्या फरक पड़ता है, किसीके हसनेसे या रोनेसे !
क्या फरक पड़ता है ,किसीके घुस्सा करनेसे या प्यार जतानेसे!
क्या फरक पड़ता है ,किसीके बतानेसे या छुपानेसे!
क्या फरक पड़ता है ,कोही साथ रहेनेसे या नाराहेनेसे!
क्या फरक पड़ता है, ऊपर आकाश में उड़नेसे या फिर निचे रस्तेपर पैदल चलनेसे!
सोचो फरक पड़ता है !
फरक पड़ता है,जब आकेलेमे कोही साथ आजाये!
फरक पड़ता है,जब आपको कोही खूब हसाए!
फरक पड़ता है,जब आपसे कोही खूब प्यार करे!
फरक पड़ता है,जब आपने मन की बात किसीको बताई जाये!
फरक पड़ता है,जब आप संकट में हो और आपके साथ कोही आजाये!
फरक पड़ता है!जित की उड़ान लेनेमे!
इसलिए आपनेआप को लोगो के सुख दुःख में शामिल करो,
तभी लोग आपने सुख दुःख में शामिल होंगे.
जीवन एक आनंद मई यात्रा है,इसे सब समाज के साथ मिलकर ही पूरा किया जाना है!
Tuesday, January 18, 2011
"Aadarsha"
"आदर्श"या शब्दाचा तसा आर्थ म्हणजे कही तरी निर्माण करणे की ते घडल्या नंतर त्याचे आनुकरण करण्याची लोकांची मानसिकता होणे,पण आपल्या महाराष्ट्रात राज्य सरकार मधील कही वरिष्ट मंत्री व सरकारी कर्मचार्याने आपसात संगम्मत करून एक "आदर्श"निर्माण केला आहे आणि यांचा हा आदर्श खरच त्यांचे अभिनंदन करण्या सारखा आहे कारण यांच्या या एका आदर्शा बरोबर आपल्या महाराष्ट्रात खुप वेगावेगले आनेक "आदर्श" घडले जसे मंत्री आणि सरकारी आधिकारी यांचा आपापसात संगमत करून कार्य करण्याचा आदर्श,सर्व नियमांचे उल्लंघन करून बनावट कागद पत्र तायर करून आपल्या आधिकराचा वापर करण्याचा आदर्श,आणि हो या आदर्श प्रकरणा मधे कोणाला काय मिळाले हे तर आता सर्वांचा समोर आले आहेच प्रतेकाने म्हणजे आगदी महानगर पलिकेतिल कर्मचार्या पासून ते राज्य सरकारच्या मुख्य सचिवा परेन्त आपापला वाटा घेउन एक चांगलाच आदर्ष निर्माण केला आहे.या सर्व घडलेल्या घटनांचा आपल्या राज्याचे मुखमंत्री बलि ठरले व त्यानी राजीनामा दिला एखाद्या राज्याचा मुख्यामंत्र्यानी आशा प्रकारे जाणे हाही एक आदर्श च आहे,आत्ता आलेल्या नवीन मुखामंत्र्यानी कही आधिकर्याना आपले पदा चा राजीनामा देण्यास सांगितला हाही एक आदर्श प्रयत्न आहे,पण पहा त्या आधिकार्यां त एक उच्च आधिकारी आपले पद सोडण्यास तायर नहीं हाही एक आदर्श च आहे त्यानी स्पष्ट सांगितले की मी राजीनामा देणार नहीं हा किती मोठा आदर्श,पहा एका आदर्शा मधून किती आदर्श निर्माण केले,आच्हा या सर्व गोष्टी घडल्याच आणि आताच केंद्रीय पर्यावरण मंत्र्यानी पर्यावरण खात्याची मंजूरी शिवाय बांधकाम केल्या प्रकरणी दोषी ठरवून बांधकाम(संपूर्ण इमारत ) पडायचे आदेश दिले आणि तेहि ३ महिन्याचा आत आणि गमत म्हणजे या सर्व प्रकरणाचा तापस केंद्रीय पर्यावरण खात्याने २ महिन्यात पूर्ण केला आहेकी नहीं हा पण आदर्श,आता या इमारतीत जगा घेणारे लोक मुंबई उच्चा न्यायालयात जनाचा तयारीत आहेत म्हणजे पुन्हा एक आदर्श निर्माण होइल.
पहा एका आदर्श बरोबर किती आदर्श निर्माण केले गेले या सर्व गोष्टींचा विचार करून पुढील वाटचाल करायची की एक मेकांचा राजकीय व शासकीय बलि घ्यायचा आणि नवीन "आदर्श "निर्माण करायचा याचा विचार व्हावा!
पण एक मात्र नक्की या आदर्श पासून कही शिकून आपल्या राज्य सरकारने कर्यपधातित सुधारणा करून एक आपल्या महाराष्ट्रातील जनासामन्या समोर "आदर्श"निर्माण करावा हीच आशा.
पहा एका आदर्श बरोबर किती आदर्श निर्माण केले गेले या सर्व गोष्टींचा विचार करून पुढील वाटचाल करायची की एक मेकांचा राजकीय व शासकीय बलि घ्यायचा आणि नवीन "आदर्श "निर्माण करायचा याचा विचार व्हावा!
पण एक मात्र नक्की या आदर्श पासून कही शिकून आपल्या राज्य सरकारने कर्यपधातित सुधारणा करून एक आपल्या महाराष्ट्रातील जनासामन्या समोर "आदर्श"निर्माण करावा हीच आशा.
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