Saturday, February 26, 2011

Krantisurya swatantra vir Sawarkar yana vinamra Aabhiwadan

आज क्रांति सूर्य स्वतंत्र वीर विनायक दामोदर सावरकर इनकी  पुण्यतिथि चलो  इस अवसर पर उन्हें   विनम्र आभिवादन करे !आज देश की राष्ट्रवादी जनता श्री सावरकरजी को देश में हुवे अंग्रेजो के खिलाप शसस्त्र क्रांतिका जनक मानती है! श्री सावरकरजी समग्र राष्ट्रवाद को मानते थे आपने भारत देश में जातिवाद नष्ट हो और पूरा देश जाती विरहित सिर्फ हिन्दू धर्मं मानाने वाला एक राष्ट्र बने ये उनका सपना था! श्री सावरकरजी सोचते थे की देशा में प्रस्तापिथ ये जाती वेवस्था आपने हिन्दू धर्मं को खंडित कर रही है !और हिन्दू जबतक बलशाली नहीं बनेंगे तब तक हमारा देश बलशाली नहीं बनसकता इस लिए आज़ादी के बाद सावरकरजी ने आनेको आन्दोलन किये जो जाती प्रथा के विरोध में थे!श्री सावरकरजी को धर्म के आधार पे देश का विभाजन मान्य नही था! उनकी सोच में ये भारत भूमि पुण्य भूमि है और इसे धर्मं के आधार पे बाटा नहीं जा सकता इसी कारण उन्होंने विभाजन का पुरजोर विरोध किया!मगर उस वक्त के नेतोने उन्हें धार्मिक ता बताकर सत्ता के लालच में खंडित भारतभूमि को देश करके स्वीकार किया! इस का परिणाम हम आज तक ६० साल से भुगत रहे है !श्री सावरकरजी का वाक्तिमत्व ये बहु आयामी था वो एक क्रांतिकरी थे, एक कवी, लेखक और समाज चल रही कुप्रथा का विरोध करने वाले एक समाज सुधारक थे!वो बहु आयामी वक्तित्व के एक युगपुरुष थे!हिन्दू धर्मं में श्रधा रखने वाले अखंड भारत के उपासक थे!उनके सम्पूर्ण जीवन कल में जीतनी यातना उन्होंने भोगी है उतनी इस देश के सम कालीन नेतोने नहीं भोगी होगी !
                                                  मित्रो उस समय शीर्ष नेतृत्व उनकी बात मांजता तो आज इस भारत देश का चित्र कुछ और होता! आज उनके पुण्य तिथि पे हमें यह मोका मिला है की हम श्री स्वतंत्र वीर विनायक दामोदर सावरकर जी को याद करे उनके चरणोंमे आपने श्रधा सुमन आर्पण करे और इस भारत देश में प्रखर राष्ट्रवाद का निर्माण करे और अखंड भारत देश का पुनह सपना साकार करने का प्रयास करे.
    जय हिंद 

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