आज महिला और बालविकास मंत्रालय ने खुलासा किया है की आपने मर्जीसे शाररिक सम्बन्ध[या सम्तिसे ]रखने की उम्र १६ साल करनेकी सिफारश बचोंकी लैंगिक अत्याचार प्रतिबंधक कानून में की गयी है और इसी कानुनमे १२ साल तक के लड़के तथा लडकियोंको "समागमना शिवाय"शाररिक निकटता रखने का कोही भी प्रस्ताव नियोजित कानून में नहीं है ऐसा केन्द्रीय महिला बालविकास मंत्री माननीय कृष्णा तीरथ इनोने बताया.इसका मतलब इसके बाद १६ वर्ष से कम उम्र के लड़के लड़कियों के शाररिक संबंधो को गुन्हा मन जायेगा,या विधेयक आनेवाले आर्थ संकल्पीय आधिवेशन में लाया जायेगा. उपरोक्त बातमी आज सभी वर्तमान पत्रों में छापी है सवाल ये है की आज देश में ऐसी कोणती परिस्तिती निर्माण हो गई की महिला बालविकास आत्याचार कानून में शंसोधन करके लड़के लडकियों की उम्र १८से घटाकर १६ वर्ष करनी पड़ रही है ? आज भी आपने देश कोहिभी लड़का या लड़की को बलिक समजने की उम्र २१और १८ है और इसी उम्र वाले लड़के लड़की योंको बलिक समजा जा सकता है और शादी कारने का आधिकार इसी उम्र में मिलता है फिर इस कानून में बदलाव कर के उम्र कम कारने की जरुरत काया है ? सरकार में बैठे लोग और कानून बनाने वाले सभी कानून के जानकर इस विषय में क्या सोचते है मालूम नहीं पर मेरेको ऐसा लगता है की इस तिरिकेसे बदलाव करना ठीक नहीं कारण इस का जो दुष परिणाम होगा वो सबसे जादा लडकियोंको होगा जोभी लैंगिक हत्याचार होते है उसमे ९५% महिला होती है और उम्र की सीमा घटने से उनमे बढोतरी आएँगी कारण एक उम्र का डर ख़तम हो जायेगा इस से महिला योंको देहव्यापार के तरफ घसीट ने की संख्या में भी इजाफा होगा,इस कानुनमे बदलाव का नुकसान देश की लड़कियों को ही होगा,सरकार कानून में बदलाव कर कोनसा उदेष सफल करना चाहती है! क्या सरकार इस विषय में दबाव में है, कोही N G O इस कानून में बदलाव करवाना चाहता है,क्या सरकार इस कानुनमे बदलाव करके लैंगिक वभिचार को निमंत्रण तो नहीं दे रही है ? सरकार के इस कदम का कोई भी विरोध कर नहीं रहा आज देश में कितने संगठन है जो इन विषयो में बारबार बवाल मचाते है मगर आज कोई भी विरोध करते हुवे नहीं दिखरहा? मेरे को ऐसा लगता है सरकार के इस कदम से कानून का जो डर है वो ख़तम होजायेगा शायद ये कानून बनजयेगा तो हम देश के लड़के लड़की योंको कानूनन बड़ा तो बनादेंगे मगर उनका स्वाभाविक बचपना उनसे छीन लेंगे.
अनुरोध ये है आप इस विषय में सोचे क्या सरकार का ये उचित कदम है कानून में बदलाव करना !
अनुरोध ये है आप इस विषय में सोचे क्या सरकार का ये उचित कदम है कानून में बदलाव करना !
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